चवदस वाली रात चांदणी, हरियो बाग सुहाणो जी
नवलाख रमण नैं ,आवै जी औरण में
थारा दास गुलाल, उडावै जी औरण में
दडबड दौड्या टाबर थारा, फेरी आज लगावै जी
मनड़ै री आस पुरावै मां औरण में
टेर....
अरजी सुण जगदंबा थे तो संवली रूप धराज्यो जी
थारा भगतां नै दर्श दिराज्यो जी औरण में
टेर....
भगतां पर किरपा बरसावो सिर पर हाथ धराओ जी
मां थे बिगड्या काज बणावो जी औरण में
टेर
औरण मांही गूंजै थारा जोरां सूं जयकारा मां
थारी पग रज शीश लगावां जी औरण में
टेर .....
औरण मां उपवन अलबेलो, मखमल रेत सुहावै जी
मीठा बोर घणा मन भावै जी औरण में
टेर ......
शारद नारद करत आरती ,देव सुमन बरसावै जी
थारा सुर नर ऋषि गुण गावै जी औरण में
टेर .......
रामोतार कै सागै मुरली ,प्रांजल देव भी आवै जी
थारो हरख हरख जस गावै जी औरण में
टेर.......
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