धिन देशाण धजा धणियाप
नवलख रास रमै मढ़ मांय
टूटत लाव अणद घबराय
हे करणी मां प्राण बचाय
दुंभी रूप तुरंत दर्शाय
नवलख रास रमै मढ़ मांय
शेखो सिंध कैद रै मांय
करुणा करणी पार लगाय
चील रूप धर शेखो ल्याय
नवलख रास रमै मढ़ मांय
सुत कोलायत प्राण गमाय
जमपुर जा जम नै धमकाय
कर काबा राखूं मढ़ मांय
नवलख रास रमै मढ़ माय
पीथल साद सुणी सुरराय
अकबर जद नारी बुलवाय
कंठ पकड़ नवखंड सिधाय
नवलख रास रमै मढ़ मांय
म्हैन्द्र प्रांजल अरज लगाय
रामोतार कीरत नित गाय
सुख संपत बगसो सुरराय
नवलख रास रमै मढ़ माय
महेन्द्र कविया & प्रह्लाद कविया प्रांजल
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