Friday, 25 March 2022

अन्नदाता आपरो खुडद नगर प्यारो लागै सा भगतां री टोली घुमर घालै सा इंद्र बाईसा घूमर चिरजा bhagta ri toli ghumar ghale sa chirja indra baisa kavi Pranjal


 दोहा...


सागर हिवडै नेह रो, मुख मधुरिम मुस्कान 

मुकुट हेम रो शीश पे, चरणा च्यारूं धाम



अन्नदाता आपरो खुडद नगर प्यारो लागै सा

बाईसा आपरो करणी भवन प्यारो लागै सा

भगतां री टोली घुमर घालै सा

बायां री टोली घुमर घालै सा



जगदंबा थे तो भगत बचावण वाली जी 

कोपित असुरां को वंश खपावण वाली जी 

तिहूं लोक हुकुम मां थारो ही चालै सा 

भगतां री टोली घुमर घालै सा 




आवड़ अवतारी धिन धिन थारी सकलाई जी

हाजिर नाजिर मां भगतां री करण सहाई जी

संकट में सगती आय संभालै सा

भगतां री टोली घुमर घालै सा



सुरलोक धरा रो धाम खुडद कहलावै सा 

म्हारी मां रै दर सूं कोय नहीं खाली जावै सा

दरबार थारोडै म्हानै भी बुलालै मां



जगजननी थारी चरण शरण सुखदायी जी

प्रांजल पर मैया राखो सदा प्रभुताई जी

सेवगां सूं सांची प्रीत मां पालै सा.....

प्रहलाद सिंह कविया प्रांजल 

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