शीश मैया ने लोवड़ सोवै
ओ थारै मढ़ री शोभा न्यारी
भवन में मन लाग्यो
ओ दर्शन द्यो मेह दुलारी
भवन में मन लाग्यो
पगल्यां मैया नैं पायल सोवै
पगल्यां मैया नें पायल सोवै
ओ थारै भुजबंद री छिब न्यारी
भवन में मन लाग्यो
ओ मन लाग्यो मेह दुलारी
शरण में में मन लाग्यो
चढणै मैया नै रथड़ो सोवै
ओ थारै केहर री छिब न्यारी
भवन में रंग लागो
ओ दर्शन द्यो मेहदुलारी
शरण में मन लागो
मुखड़े मैया रै तेज घणेरो
मुखड़ै मैया रै तेज घणेरो
ओ जावां निरख निरख बलिहारी
भवन में मन लाग्यो
जीमण मां रै पकवान भतेरा
जीमण मां रै है घेवर पैड़ा
ओ म्हे तो सोहन थाल सजायो
भवन में मन लाग्यो
मढ़ में मैया रै काबा खेलै
ओ थारो चारण वंश सवायो
भवन में मन लाग्यो
प्रांजल मां चरणा रो चेरो
मां देवराज नैं हेत घणेरो
ओ थारो रामोतार जस गायो
भवन में मन लाग्यो
प्रहलाद सिंह कविया प्रांजल
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