Monday, 29 October 2018

चारणों में देवल नाम की अवतरित देवियां

चारण समाज में देवल देवी के नाम से चार लोक देवीयां अवतरित हुई थी उनमें प्रथम-जैसलमेर के बोगनयायी गांव के मीसण शाखा के चारण अणदा जी की पुत्री एंव करणानन्दं आणंद की बहिन थी जिन्होने वीर पाबुजी राठौड़ को केसर कालमी घोड़ी दी थी ईसके सम्बधं में एक दौहा प्रसिद्ध हैं:.                  अणदै री मीसण नमो,झलै त्रिसुळां झल्ल।.                       पाबु ने दी कालमीं,गढांज राखण गल्ल।।.                             द्वितीय देवल बाई प्रसिद्ध भक्त कवि ईसरदास जी की धर्मपत्नी जो शक्ति का अवतार मानी जाती है।.                                 तृतीय देवल देवी आढांना नामक गांव के स्वामी आढा शाखा के चारण मांढाजी के पुत्र चकलु जी की पुत्री थी जो सुवाप गांव के स्वामी किनीयां शाखा के चारण मेहा जी की पत्नी थी करणी जी आदि सातों बहनों को जन्म देने का सौभाग्य इसी देवल देवी को था ।इन्हे भी शक्ति का अवतार माना जाता है।.                   चतुर्थ देवल देवी माड़वा गांव के सिंढायच  शाखा के चारण भल्ला जी की पुत्री थी इन्हे भी शक्ति का अवतार माना जाता है -.            चारण बरण चकार में,देवल प्रगटी दोय।.                                   पैली तो मीसण थई,बीजी सिंढायच जोय।.                       सवळ घड़सी आंख में,होतो दुष्ट अदीठ।.                                 बळिहारी देवला, आन कियोज मजीठ।।.                               मांणक हंदो काळजो,रोज बींधतो आंण।.                                  सो पच देवल गांळियो,सिंढायच सब जांण।।.                            सादर प्रेषक- संदीप मीसण.    ठि. गवारड़ी(मेड़ता सिटी).             कानाबाती-६३५०४९४७४०

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