Monday, 29 October 2018

करनी माता की चिरजा

🚩___ॐ करणी मंगलम__ 🚩

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   चिरजा श्री माँ करणी जी री
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सात द्वीप नव खण्ड रमे,
जुनी जोगणिया ।
(जुनी जोगणिया)
दीपे देशाणा मे जोत
रम रही रासङल्यां ।।टेर।।••••

औढ लाखीणी लौवङी जी,
रमे नवलख साथ ।
(रमे सगत्यां रो साथ)
मधुरी मधुरी रास,
पङगी सांझङल्या ।।••••••

सातम री प्रभात,
बाजे पग पैजनिया ।
(पग मे पायलिया)
धुधरू सुनावे नाद,
मेहाजी री झूंपङल्या ।।

आज भलो दिन ऊगियो जी,
इण आंगणिये ।
(मढ रे प्रांगण में)
प्रगटी माँ हिंगलाज,
कर रही बातङल्यां ।।

सांवल री अर्जी सुनो जी,
म्हारी करनल माय।
(म्हारी रिधु माय)
भक्तां रो कारज सार,
भोळा है टाबरिया ।।

सात द्वीप नव खण्ड रमे ,
जुनी जोगणिया 2
दीपे नगर मे जोत,
रम रही रासङल्यां ।।
🚩सांवल दान देपावत 🚩
🚩देशनोक 🙏🏽🙏🏽

माता जी की चिरजा

🚩 ॐ  नमो माँ  करणी 🚩

🚩✍🏻चिरजा- तर्ज- सुपनो ✍🏻
रचियता - सांवल दान देपावत-         
               देशनोक
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सुपनो आयो आधी रात मे-2
सुपने मे आया करणी माय,
साथीङां म्हाने देशाणो दिखाद्यो जी ।
साथीङां म्हाने देशाणे पुगाद्यो जी जी ।। टेर ।।

सुरजी रे सामी बणियो देवरो-2 ,
रतना रो जङियो किवांङ ।
जङित मे हीरा पन्ना जङिया जी
साथीङां म्हाने देशाणो दिखाद्यो जी ।।•••••

मढ मे दिखे काबा दौङता-2,
दङ-बङ दौङ लुभाय, धवल काबो निजरां में आयो जी
साथीङां म्हाने देशाणो दिखाद्यो जी।।••••••

झिल-मिल करती जोतरा-2,
दर्शन हुया मढ माय ,सुन्दर मुख निरखण लाग्या जी ।
साथीङा म्हाने देशाणो दिखाद्यो जी ।।••••

देशाणे मे आवे घणा जातरी -2,
निव निव धोक लगाय ,भक्तां ने मैया देशाणे बुलाल्यो जी ।
साथीङा म्हाने देशाणो दिखाद्यो जी ।।•••••

कर बद्ध गावे चिरजा मातरी-2,
सांवल चित में लाय ,मन्दिर म्हाने प्यारो लागे सा ।
साथीङा म्हाने देशाणो दिखाद्यो जी ।।••••

रचियता-  सांवल दान देपावत     
              (पप्पू दान चारण)
                 देशनोक 🙏🏽🙏🏽

करनी माता देशनोक क्यो आई

🚩✍🏻 एक दन्त कथा ।

करणी जी देशनोक क्यों आये ?
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कहते हैं कि प्राचीन काल में एक समय शंकर भगवान व माँ पार्वती
पृथ्वी लोक में विचरण कर रहै थे,
घूमते घूमते एक निर्जन घने जंगल से होकर गुज़र रहै थे, वह स्थान अत्यन्त मनोहर व रमणीय स्थल था, जहां पर बाळू के टीबे,
झाङीयें, खेजङी वृक घने पेङ पौधे थे , वह स्थान अत्यन्त सुन्दर था,  जहां पर थार (ताल) व रमणीक रेत के टीबे (धोरे) थे ।
माता पार्वती को वह स्थान मन भा गया,
विचरण करते हुए जैसे जैसे ही वे दोनो उस रमणीक स्थल पर पहुचे तब माँ पार्वती ने शंकर भगवान से कहा, भगवन मै चलते चलते बहुत थक गई हूँ और यह जगह भी बहुत सुन्दर है हम कुछ समय के लिए यहाँ विश्राम करते हैं ।
तब भगवान शंकर ने कहा देवी सुन, यह पृथ्वी लोक है यहाँ बहुत सी जगह, अनेक नदी नाले पर्वत झरने देखने को मिलेंगे कब तक पृथ्वी लोक में विचरण करते रहेंगे,चलो हम चलते हैं ।
ऐसा कहकर भगवान शंकर वहां से रवाना हो गये, व पार्वती भी साथ साथ रवाना हो गई, जाते जाते माँ पार्वती ने शंकर भगवान से कहा कि इस जगह मै दुबारा आऊंगी ।
यह(देशनोक) वही जगह है जहाँ से भगवान शंकर व माँ पार्वती घूमते हुए निकले थे ।
और माँ पार्वती ने अपना वचन (इस जगह मै दुबारा आऊंगी) सत्य करने के लिए माँ करणी के रूप मे अवतार लिया ।
और इसी स्थान पर आकर देशनोक गांव बसाया ।
उधर साठीका मे केळु जी के घर देपोजी भी शंकर भगवान के अंशावतार थे ।इसलिए  देपोजी शिवजी के भक्त थे व माँ करणी ने पार्वती का पूर्ण कला मे अवतार लिया था अतः माँ हिंगलाज (आवङ जी) की सेवा करते थे ।
बोलो करणी माता की जै ।
माँ भवानी की जै 🚩🚩🚩🚩
                  सांवल दान 🙏🏽🙏🏽

चारणों में देवल नाम की अवतरित देवियां

चारण समाज में देवल देवी के नाम से चार लोक देवीयां अवतरित हुई थी उनमें प्रथम-जैसलमेर के बोगनयायी गांव के मीसण शाखा के चारण अणदा जी की पुत्री एंव करणानन्दं आणंद की बहिन थी जिन्होने वीर पाबुजी राठौड़ को केसर कालमी घोड़ी दी थी ईसके सम्बधं में एक दौहा प्रसिद्ध हैं:.                  अणदै री मीसण नमो,झलै त्रिसुळां झल्ल।.                       पाबु ने दी कालमीं,गढांज राखण गल्ल।।.                             द्वितीय देवल बाई प्रसिद्ध भक्त कवि ईसरदास जी की धर्मपत्नी जो शक्ति का अवतार मानी जाती है।.                                 तृतीय देवल देवी आढांना नामक गांव के स्वामी आढा शाखा के चारण मांढाजी के पुत्र चकलु जी की पुत्री थी जो सुवाप गांव के स्वामी किनीयां शाखा के चारण मेहा जी की पत्नी थी करणी जी आदि सातों बहनों को जन्म देने का सौभाग्य इसी देवल देवी को था ।इन्हे भी शक्ति का अवतार माना जाता है।.                   चतुर्थ देवल देवी माड़वा गांव के सिंढायच  शाखा के चारण भल्ला जी की पुत्री थी इन्हे भी शक्ति का अवतार माना जाता है -.            चारण बरण चकार में,देवल प्रगटी दोय।.                                   पैली तो मीसण थई,बीजी सिंढायच जोय।.                       सवळ घड़सी आंख में,होतो दुष्ट अदीठ।.                                 बळिहारी देवला, आन कियोज मजीठ।।.                               मांणक हंदो काळजो,रोज बींधतो आंण।.                                  सो पच देवल गांळियो,सिंढायच सब जांण।।.                            सादर प्रेषक- संदीप मीसण.    ठि. गवारड़ी(मेड़ता सिटी).             कानाबाती-६३५०४९४७४०

करणी माता चिरजा

सोनल शरणे उबरसो,भज भगवती रो नाम।

संकट   मेटण चारणी, हाज़िर  आठो  याम।।

सोनल के परताप से, जो नर नाम पीयाह।
प्यासा प्राण तृप्त हो,  पीवत  ही  जीयाह।।

वन्दन सोनल मात को, कर मन  कांयक वैण।
अखिल भुवन में सोधिये, सोनल समो न सैण।।

 लोवड़ियाळ  जन अनंत के, सारे कारज सोय।
जो नर मन निश्चय धरे,माँ सोनल परगट होय।।

सोनल उर करुणा धरे,  हरे माँ विपत हजार।
,देव पुत्री,,तुज दाखवे, माँ सिमरू  बारम्बार।।

सोनल बिन सुधि न लहै,  कोटिक  करो उपाय।
दे वर तुज पुत्री को माँ ,मन पल भी न बिसराय।।
     ------   ----    -----सोनल शरण में मंजू चारण
जय माँ मढड़ा वाली,, जय माँ चालकनेची जी, जय माँ मोगल, जय श्री करणी, जय हिंगलाज।

करणी वंदना

🙏श्री करणी प्रभात🙏
विनय करूं करणी कर जोड़त,
साद सुणो मम माँ .....  मेहाई,
आश लिए ऊर में अति आतुर,
मैं बाळक..... थांरे ....शरणाई,
स्वार्थ सकल संसार.....मावडी़,
मिनख चावै नित गूण... सदांई,
 आप कहो किण विध.. निभे माँ,
किकर करूं माँ मैं .......भरपाई,
पाळक ..जगत तूँ ......परमेसरी,
ममता महर राखी..... ..महमाई,
मैं रिछपाल चरणा रज ....थांरी,
अन्नधन ईज्जतआनन्द बगसाई!!
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

करणी माता देशनोक

पग पग हू नमू करता मात करनला
    रज रज हू कटू नाम लेत आवडा़
   हदय हिवडे़ सू माँ ने बसाउ
    आधे हेले आवजे माडी़
      ईजत मान मरयांदा देवी
      आंच मत आन दिजे देवी
       तेरे चरणो का मे दास दिनू
       सदा सहाय मात करणी

करणी माता दोहा

दोहा:-



*मुखड़ै चमके तेज, पग कंचन री पावड़ी।*
*गजब रंगी रंगरेज, मां करणी री लोवड़ी।*

*हाथां में त्रिशूल, नैणा में सृष्टि बसै।*
*बोली बरसै फूल,  प्यारा लागो करनला ।*

*धरिया धरती पांव, चंदन सम माटी हुई।*
*बडभागी बो गांव, देशाणुं मातेश्वरी।*

*मनड़ो घणों विशाल, राखै किनियाणी सदा।*
*झट पुचकारै लाल, दोष माफ कर अम्बिका।*

*निशदिन थानैं याद, सरहद ऊपर करनला ।*
*करै भक्त प्रह्लाद,ध्यान राखजै भगवती।*


चिरजा:-लाखीणी लोवड़ी


माता जी चिरजा

🙏जय मां करणी 🙏

🙏 श्री करणी कृपा स्रोत 🙏

🙏कृपा करज्यो मां काबा वाली लाल धजाली बीस भुजा ली 🙏

आवड़ रा अवतार वाली मेहा के घर आवण वाली
देवल गोद म खेलण वाली सुवाप ग्राम म रेवण वाली
तात प्राण बचावण वाली विष सर्प रो सोखण वाली
भुवा न परचो देवण वाली काया रो कष्ट मिटावण वाली

कृपा करज्यो मां काबा वाली लाल धजाली बीस भुजाली

साहूकार को तारण वाली लाम्बी भुजा पसारण वाली
टुटी लाव जुड़ावण वाली दम्भी रो तन धारण वाली
कान्हे पे कोप करण वाली केहरि रुप बणावण वाली
भक्ता रा काज सुधारण वाली करनल जग उद्धारण वाली

कृपा करज्यो मां काबा वाली लाल धजाली बीस भुजाली

खड्ग खप्पर धारण वाली दुष्टा न ललकारण वाली
शुम्भ निशुंभ संहारण वाली महीदानव न मारण वाली
रक्तबीज रो रक्त अरोगण वाली लाम्बी जीभ पसारणवाली
देव काज सुधारण वाली महादेवी कहलावण वाली ।।

शेखो री कैद छुड़ावण वाली सम्बली रूप बणावण वाली
लाखन प्राण बचावण वाली यमपुर सू ले आवण वाली
लख चौरासी जुण मिटावण वाली मंढ़ माइने राखण वाली
अगणित काबा करणे वाली काबा वाली कहलावण वाली

कृपा करज्यो मां काबा वाली लाल धजाली बीस भुजाली

जोधाणो नगर बसावण वाली किले री नींव लगावण वाली
   रिड़मल न राज देवण वाली ढोकरी मां ढा़ढा़ वाली
देशाणो थान थपावण वाली दुजो स्वर्ग बणावण वाली
नित उठ़ परचा देवण वाली करनल काज सुधारण वाली।

कृपा करज्यो मां काबा वाली लाल धजाली बीस भुजाली।

        सिंह री असवार वाली, त्रिशूला कर धारण वाली
       दुष्टा न संहारण वाली, काली रुप बणावण वाली
टाबर न लाढ़ लढा़वण वाली लोवण सू लिपटावण वाली
करनल करुणा करणे वाली अमृत रस बरसावण वाली

कृपा करज्यो मां काबा वाली लाल धजाली बीस भुजाली।

मद पीवण वाली मदवाली भक्ता रे मन भावण वाली
मीठी वाणी सू बतलावण वाली भक्ताने दर्शण देवणवाली
याद करया झट आवण वाली सारा काज सुधारण वाली
 भक्त श्याम रा प्राण बचावण वाली गोदी मांही झेलण वाली ।।

कृपा करज्यो मां काबा वाली लाल धजाली बीस भुजाली।

आप सगला न कोई त्रुटी लागे तो माफ करज्यो सा
श्याम सिंह चारण सुरतपुरा

चारण कौन थे

चारण कौन थे ?क्या थे ?


🔴 *चारण री बाता* 🔴
🔶  *चारण क्या थे?कौन थे ? (मध्य कालीन युग)*

अगर हम इतिहास मे एक द्रष्टि डाले तो पायेंगे की राजपूताना मे चारणो का इतिहास मे सदेव ही इतीहासीक योगदान रहा है । ये बहोत से राजघराणे के स्तम्भ रहे है । इन्हे समय समय पर अपनी वीरता एवम शौर्य के फल स्वरूप जागीरे प्राप्त हुई है ।
चारण राज्य मे  राजकवि ,उपदेशक एवम पथप्रद्शक होते थे । वह राजा के साथ युध्ध भूमि मे जाते थे एवम युध्ध मे राजा को उचित सलाह और धेर्य देते ,और अपनी वीरता युध्ध भूमि मे दिखाते थे ।वह राज्य के दार्शनिक ,राजकवि,रणभूमि के योद्धा और एक मित्र के रुप मे राज्य और राजा को सहयोग करते थे ,और राज्य की राजनीति मे भी उनका बड़ा योगदान रेहता था ।राजपूताना के राज्यों मे चारण एक  सर्वश्रेष्ठ,प्रभावशाली एवम महत्वपूर्ण व्यक्ति होते थे ।
जीवन स्तर : मध्य काल मे राजपूताना के चारण सभी प्रकार से सर्वश्रेष्ठ थे ।  राजघराने के राजकवि(मंत्री) और जागीरदार थे । उनके पास जागीरे थी उनसे जीवनयापन होता था ।

>राजपूताना से मिले कुरब कायदा -समान
चारणो को समय समय पर उनके शौर्यपूर्ण कार्य एवम बलिदान के एवज मे सन्न्मानीत किया जाता था ।जिनका विवरण इस प्रकार है :
1} लाख पसाव, 2} करोड़ पसाव ,3} उठण रो कुरब ,4} बेठण रो कुरब, 5}दोवडी ताजीम ,6} पत्र मे सोना 7}ठाकुर  8}जागीरदार

दरबार मे चारण  के बेठ्ने का स्थान छठा था ,सातवां स्थान राजपुरोहित का था । ये दो जातियाँ दोवडी ताजीम सरदारों मे ओहदेदार गिने जाते थे । चारण को दरबार मे आने  जाने  पर राज  दरबार  एवम राजकवि पदवी दोनो से अभी वादन होता था ।
चारण के कार्य :चारण राजा के प्रतिनिधि होते थे । चारण राजा को क़दम क़दम पर कार्य मे सहयोग करता था ।वह युद्ध मे बराबर भाग लेता और युध्धभूमि मे सबसे आगे खडा होता एवम शौर्य गान और  उत्साह से सेना व राजा को उत्साही करता और युद्ध भूमि मे अपनी वीरता दिखाते युद्ध करते । वह राजकवि के अतिरिक्त एक वीरयौद्धा और स्पष्टवक्ता होते थे । राजघराने की सुरक्षा उनका कर्तव्य था,राज्य के कोई आदेश अध्यादेश उनकी सहमती से होता था ।संकट समय पर राजपूत और राजपूत स्त्रीया  भी चारण के स्थान को सुरक्षित मान कर पनाह लेते थे ।
चारण कुल मे कई सारी देवियां हुई जो राजपूतो की कुलदेवीया है,ऐसी कोई राजपूत साख नही होंगी जिनकी कुलदेवी चारण न हो ।
देवलोक से आने से और कई  देवियां के जन्म से चारणो को (देवकुल) देवीपुत्र भी कहा जाता है । चारण कुल मे (काछेला समुदाय) मे देवियां हुई जो राजपूतों को राज्य प्राप्त करने मे मददरुप बने और राजपरिवार की कुलदेवियां हुई । और चारणो मे बहोत राजकवि ,वीरयोद्धा,स्पष्ट वक्ता हुए जो राजघराने के आधरस्तम्भ की तरह रहे । चारण का राजपूत से अटूट सम्बंध रहा है ।
अभीवादन :चारण अभिवादन "जय माताजी"से करते है,राजपूतो को जय माताजी कर अभीवादन करना चारण ने सिखाया है ।
>ठिकाणा व जागीरी: स्थिति - पुरातन समय में तो राजपुरोहित और चारण  राज्य के  सर्वोच्च एवं सर्वश्रेष्ठ अधिकारी होते थे  । मध्यकाल में युद्धो में भाग लेने, वीरगति पाने तथा उत्कृष्ठ एवं शौर्य पूर्ण कार्य कर मातृभूमि व स्वामिभक्ति निभाने वालो को अलग-अलग प्रकार की जागीर दी जाती थी । इसमें चारण ,राजपूत व  राजपुरोहित ये तीन जातियाँ मुख्य थी । प्रमुख

करणी माता चिरजा

🙏जय मां करणी 🙏


आज प्रकटी मारी मात भवानी देशाणा री राय जी।।

मधु भादव आसोज माघ री सातम शुक्रवार जी
इण दिन प्रकटी मात भवानी करणी ज्यारो नाम जी।।

रिमझिम हो रही वर्षा और झुम रह्या नर नार जी
आज अवतर्या धरती माथे ले आवड़ अवतार जी।।

गोदी लेकर मेहा जी कर रह्या राज दुलार जी
छायो चारू और उजालों हो रही जय जय कार जी।।

मुख देखण करणी अम्बा रो लागी भीड़ अपार जी
पालण माहीं खेलत अम्बा काटत कष्ट हजार जी ।।

शीश झुकाया श्याम खड़ो हैं शरणे राखो राय जी
भक्त बुलाया दौड़ी आज्यो प्यारी करनल माय जी ।।

आप सगला न कोई त्रुटी लागे तो माफ करज्यो सा
श्याम सिंह चारण सुरतपुरा

Shree karani

🙏जय मां करणी 🙏

🙏 श्री करणी कृपा स्रोत 🙏

🙏कृपा करज्यो मां काबा वाली लाल धजाली बीस भुजा ली 🙏

आवड़ रा अवतार वाली मेहा के घर आवण वाली
देवल गोद म खेलण वाली सुवाप ग्राम म रेवण वाली
तात प्राण बचावण वाली विष सर्प रो सोखण वाली
भुवा न परचो देवण वाली काया रो कष्ट मिटावण वाली

कृपा करज्यो मां काबा वाली लाल धजाली बीस भुजाली

साहूकार को तारण वाली लाम्बी भुजा पसारण वाली
टुटी लाव जुड़ावण वाली दम्भी रो तन धारण वाली
कान्हे पे कोप करण वाली केहरि रुप बणावण वाली
भक्ता रा काज सुधारण वाली करनल जग उद्धारण वाली

कृपा करज्यो मां काबा वाली लाल धजाली बीस भुजाली

खड्ग खप्पर धारण वाली दुष्टा न ललकारण वाली
शुम्भ निशुंभ संहारण वाली महीदानव न मारण वाली
रक्तबीज रो रक्त अरोगण वाली लाम्बी जीभ पसारणवाली
देव काज सुधारण वाली महादेवी कहलावण वाली ।।

शेखो री कैद छुड़ावण वाली सम्बली रूप बणावण वाली
लाखन प्राण बचावण वाली यमपुर सू ले आवण वाली
लख चौरासी जुण मिटावण वाली मंढ़ माइने राखण वाली
अगणित काबा करणे वाली काबा वाली कहलावण वाली

कृपा करज्यो मां काबा वाली लाल धजाली बीस भुजाली

जोधाणो नगर बसावण वाली किले री नींव लगावण वाली
   रिड़मल न राज देवण वाली ढोकरी मां ढा़ढा़ वाली
देशाणो थान थपावण वाली दुजो स्वर्ग बणावण वाली
नित उठ़ परचा देवण वाली करनल काज सुधारण वाली।

कृपा करज्यो मां काबा वाली लाल धजाली बीस भुजाली।

        सिंह री असवार वाली, त्रिशूला कर धारण वाली
       दुष्टा न संहारण वाली, काली रुप बणावण वाली
टाबर न लाढ़ लढा़वण वाली लोवण सू लिपटावण वाली
करनल करुणा करणे वाली अमृत रस बरसावण वाली

कृपा करज्यो मां काबा वाली लाल धजाली बीस भुजाली।

मद पीवण वाली मदवाली भक्ता रे मन भावण वाली
मीठी वाणी सू बतलावण वाली भक्ताने दर्शण देवणवाली
याद करया झट आवण वाली सारा काज सुधारण वाली
 भक्त श्याम रा प्राण बचावण वाली गोदी मांही झेलण वाली ।।

कृपा करज्यो मां काबा वाली लाल धजाली बीस भुजाली।

आप सगला न कोई त्रुटी लागे तो माफ करज्यो सा
श्याम सिंह चारण सुरतपुरा

सातम वाळी झाँकी

मामा म्हारै आंगण आव भैरवा चिरजा लिरिक्स

  मामा म्हारै आंगण आय भैरवा रै मिणधर म्हारै आंगण आय भैरव मुख मंडल पर तेज करारो लांगडिया लटियाला भैरू दोन्यू भाई संग सदा ही ऊबा गौरा काला भैं...