हरख घणो हिंगलाज
हरख घणो हिंगळाज पधारो,
अरज सुणन्ता आई मां
बिड़द निभाजे हे बिड़दाली,
भूल बिसर मत ज्यायी मां
1दुष्ट संघारण,भगत उबारण आदि आवड़ आयी मां(जी)
मारयो देत तेमड़ो मोटो,सकल जगत सकळाई मां(जी)
सोख्यो मोटो समद हकड़ो-2एक चळू के माहीं जी
हरख घणो..
2मेहर भयी मेहा पर भारी,रिदधू बन अवतारी मां(जी)
झगडूंशाह री जहाज तिरावण लम्बी भुजा पसारी मां(जी)
करणी काज सकल दुख हरणी-2करनल काबा वाळी जी
हरख....
3कौल निभावण पीथळ हित मै,राजल दिल्ली धाई मां(जी)
सिंह होय अकबर पर झपटी,सन्मुख रही सहाई मां(जी)
पीथळ ने निर्भय कर दीन्हो-2नवरोजा छुड़वाई जी
हरख....
4सगत निराळी खूड़द धिराणी, मां नर भेष बणाई मां(जी)
सुंदर रूप चन्द सी आभा,सगळा(भगतां)रै मन भाई मां(जी)
माथै सोवै पेच सुरंगों-2ध्यावै जग संसारी जी
हरख.....
5नवलख सगत्यां राश रमाज्यो,ले बावन अगवाणी मां(जी)
साद सुणन्ता शेर सजाज्यो,चिन्ता मेटण आयी मां(जी)
वेद विमल टेरो जस गावै-2शारद नारद ध्यायी मां(जी)
हरख घणो....
6रवि सो तेज चन्द सम शीतल,निर्मल छवि तिहारी मां(जी)
प्रभुकुल पर राखो प्रभुताई भगतां तणी सहाई मां(जी)
रामोतार भणै कर जोड्यां-2कवि महेंद्र वरणायी जी
हरख....
महेंद्र कविया भवानीपुरा
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