गीत-रंग वाळी रात। PLAY
(तर्ज-छोटी सी उमर परणाई ओ बाबोसा)
रंग वाळी रात,बिताई रूड़ा मेहलां सूखो पड़ियो,हरियो बाग(टेर)
1पाणीड़ो भरबा नै,पनघट निसरी प्यास जगी जोबन री
बो निर्मोही कांई विरह पिछाणै जाय बस्यो है परदेश
2सिर रो घड़ो,सब सखियां भरै है रीति है गागर मन री
मन लोभीडो,कोई केहणो न मानै भँवर बसै है परदेश
3सावण सुरंगों पिया,जोबन हठीलो सा जुल्मी नै कुण बिलमावै सा सजन बिना कुण कण्ठ लगावै विरहन करत पुकार
4मन भावन सावण जद आयो बोलै है कोयल प्यारी
कोयल बोल कटारी सा लागै विरह सुणै ना कोय
5मन बेहलावण बागां गयी ही देख्या फुलड़ा भारी
दमडा रो लोभी परदेश बसै है कांई म्हारै फुलड़ा रो मोल
6सोळा सिणगारी,पिया सुरमो सार्यो मरवण सेज सँवारे सा
बलम बिना सूनी सेजड़ली कद निरखोला मोय
7सुण कुरजा,म्हारो भँवर मिला दो विरहन बाट निहारै सा
कगलिया तूं गेहरो बोलिजे कठै तो सुणेला म्हारो पिव
महेंद्र सिंह
भवानीपुरा
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